क्रोध पर नियंत्रण पाने के 5 उपाय

क्रोध पर नियंत्रण। सुबह से लेकर रात्रि तक की जीवनचर्या में लगभग हर परिस्थिति का सामना करने के लिए हम क्रोध को एक आसान प्रतिक्रिया के रूप में चुनते हैं। यदि हम स्वयं से ही पूछें कि मैं एक दिन में कितनी बार क्रोध करता हूँ, तो हम उसकी गिनती भी नहीं कर पाएंगे । शायद ही ऐसा दिन आता होगा, जब हम अपने परिवार के सदस्यों के प्रति, कर्मक्षेत्र में अपने सहकर्मियों के प्रति या अन्य किसी परिस्थिति में क्रोध पर नियंत्रण करते हुए व्यवहार करते हों ।

क्रोध पर नियंत्रण पाने के 5 उपाय –

चिकित्सा विज्ञान और मनोविज्ञान के अनुसार क्रोध करने का प्रत्येक क्षण हमारे शरीर में नकारात्मक रसायनों और हार्मोन का उत्सर्जन करता है जो निरन्तर हमारे शरीर को क्षति पहुँचाता है । क्रोधयुक्त व्यवहार के कारण हमारा मन नकारात्मक भावनाओं से ग्रसित हो जाता है जिसके कारण उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अवसाद, अनिद्रा और यहाँ तक कि कैंसर जैसी मनोदैहिक बीमारियां भी हो सकती हैं।

इसके अतिरिक्त हमारे मन की नकारात्मक मनोदशा जैसे कि घृणा, प्रतिशोध की भावना, आक्रमकता, व्यवहार में कुटीलता के कारण हमारे मूल सकारात्मक व्यावहारिक गुण जैसे कि शांति, प्रेम और खुशी हमारे जीवन से लुप्त जाते हैं। इसलिए जीवन की सुन्दरता और सहजता के लिए हमारा क्रोधमुक्त होना अत्यन्त आवश्यक है । तो आइए, जानें कि कैसे हम अपने क्रोध पर नियंत्रण पाने के 5 उपाय क्या हो सकते हैं –

जो आप नहीं बदल सकते, उसे बदलने का प्रयास न करें-

बहुत बार हमारी इच्छाओं और आशाओं के विपरीत उत्पन्न परिस्थितियां या लोगों के व्यवहार के प्रति हम क्रोध की भावना के साथ प्रतिक्रिया करते हुए उन्हें बदलना चाहते हैं, लेकिन हम भूल जाते हैं कि उन पर हमारा कोई नियन्त्रण नहीं है । जब परिस्थितियां और लोगों का व्यवहार हमारे अनुरूप नहीं होता तब हम निराशा अनुभव करते हैं और क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख पाते।

स्वयं को याद दिलाएं कि जीवन में सब कुछ हमारी इच्छाओं के अनुसार नहीं हो सकता। साथ ही, जितना अधिक हम स्वयं को सकारात्मक विचारों से भरपूर रखेंगे, उतना ही आसपास की सभी परिस्थितियां और दृश्य सकारात्मक रूप से हमारे अनुरूप होने लगेंगे ।

आध्यात्मिक स्वास्थ्य के सरल उपाय

इसलिए कभी भी यह इच्छा ना रखें कि किसी विशेष व्यक्ति में कोई विशेष गुण होना चाहिए, बल्कि स्वयं को उस विशेष गुण से भरकर अपने चारों ओर प्रकम्पित करना चाहिए । यह विधि अपनाने से आप लोगों के व्यवहार और परिस्थितियों का सामना सकारात्मक रूप से स्वीकार कर उन्हें शान्तिपूर्वक बदल भी पाएंगे । क्रोध पर नियंत्रण करने के लिए सदा याद रखें कि औरों से अपने अनुकूल व्यवहार की चाहना या आशा रखना ही क्रोध उत्पन्न होने का मूल कारण है ।

जीवन जीने की कला

हमेशा याद रखें, मैं असीम शांति और प्रेम का स्रोत हूं –

याद रखें कि किसी से घृणा करते समय या किसी की बुराई करते समय हम अपने भीतर की मधुर शांति और प्रेम की भरपूरता को नष्ट करते हैं । हम सभी के भीतर शांति और प्रेम का सुन्दर स्रोत मौजूद है, जो हम औरों के साथ सांझा कर सकते हैं। शांति और प्रेम ऐसे गुण हैं जो हमारे भीतर अलग अलग मानसिकता के लोगों के व्यवहार और प्रकिकूल परिस्थितियों का धैर्यतापूर्वक सामना करने की शक्तियां जागृत करते हैं । फलस्वरूप क्रोध पर नियंत्रण करना आसान हो जाता है और आवेशयुक्त व्यवहार करने का कुसंस्कार समाप्त होता जाता है।

स्वयं के भीतर प्रेम और शांति का गुण जागृत करने के लिए हमें अपने दिन का प्रारम्भ करते समय स्वयं को आत्म सुझाव देना चाहिए कि मैं प्रकाश का एक पुंज हूँ, शांति और प्रेम से भरपूर एक शक्तिशाली आत्मा हूँ। मैं अपने आत्मिक स्वरूप का दर्शन करते हुए अनुभव करें कि मैं मस्तक के बीच चमकता हुआ एक सितारा हूँ और मैं इसी मधुर प्रकाश को अपने चारों ओर प्रकम्पित करता हूँ।

दिन में कई बार स्वयं को ये स्वमान याद दिलाते रहें, जिससे विपरीत स्वभाव के लोगों और प्रतिकूल परिस्थितियों के समय हमारा क्रोध और घृणा से भरी उत्तेजक प्रतिक्रिया स्वतः ही मधुरता और विनम्रता में बदल जाएगी जिससे क्रोध पर नियंत्रण सहज ही हो जाएगा।

आत्मबल की सम्पत्ति

क्षमा करें और भूल जाएं –

किसी के अप्रिय या अशोभनीय व्यवहार से आहत होकर पूरा दिन बिताना बड़ा ही कष्टकारी होता है । लेकिन ऐसे ही आहत करने वाले क्षण धीरे धीरे मन में तीव्र क्रोध भरकर हमारा व्यवहार आक्रमक बना सकते हैं । दीर्धावधि तक जमा किया गया क्रोध अनुकूल परिस्थितियों में भी लोगों के सामने बिना कारण प्रकट होकर हमारी व्यक्तित्व रूपी छवि को बिगाड़ सकता है । किसी को क्षमा करने और बातों को भूलने के लिए भावनात्मक बल होना आवश्यक है ।

किसी के अनुचित व्यवहार की प्रतिक्रिया क्रोधित होकर करने के बजाए शांतिपूर्वक और प्रेमपूर्वक करना ही क्षमा करना कहलाता है । यदि हम किसी के प्रति बिना शर्त स्नेह रखते हैं तो सहज ही उसे क्षमा भी कर सकते हैं ।

बीती बातों को भूल जाने से स्वयं का ही भला होता है, अन्यथा वे बातें हमारे मन में घृणा, तिरस्कार, अपमान जैसी भावनाएं पल्लवित करके हमारे ही तन, मन और सम्बन्धों को बहुत हानि पहुंचाती है। क्षमा करने वाला ही बीती बातों को भूल सकता है । क्रोध पर नियंत्रण करने के लिए क्षमाशील बनना अति आवश्यक है ।

लोगों द्वारा किया गया आपत्तिजनक व्यवहार उनके नकारात्मक संस्कारों के कारण क्षणिक रूप से उनकी स्मृति से प्रेम और शांति का गुण ओझल होने के कारण किया जाता है, किन्तु कुछ समय पश्चात् उन्हें अवश्य आत्मग्लानि होती है कि उन्होंने गलत व्यवहार किया है । क्रोध पर नियंत्रण करने के लिए सदा यह याद रखें कि सभी प्राणियों का मूल संस्कार प्रेम और शांति है ।

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स्वयं को सही साबित करने की जिद छोड़ें –

आपसी सम्बन्धों में वैमनस्य और मनमुटाव का सबसे बड़ा कारण है कि मैं सही हूँ और दूसरा गलत है । जितना ज्यादा अहंकार होगा, उतना अधिक क्रोध आएगा । बहुत से लोग, जो अपने परिवार में या कार्यक्षेत्र में बहुत तुनकमिजाजी होते हैं, दूसरों पर चिल्लाते रहते हैं, उन्हें गलत समझते हैं, वे बहुत ही अहंकारी होते हैं। ऐसे लोगों के लिए क्रोध पर नियंत्रण करना अत्यन्त ही कठिन होता है । अहंकार के वश दूसरे के कार्यों पर नकारात्मक टीका टिप्पणी करना, अपनी सोच और कार्यों को सही समझना और उसे दूसरों पर थोपना ही क्रोध आने का नैसर्गिक कारण होता है ।

दूसरी ओर अपने अहंकार का त्याग करने वाले का व्यवहार बहुत मधुर और दयालु होगा, भले ही सामने वाले ने बहुत कुछ गलत किया हो । दूसरों को गलत समझने की आदत सुधारने के लिए एक आसान सा अभ्यास रोज करें कि प्रतिदिन मिलने वाले प्रत्येक व्यक्ति में कम से कम एक विशेषता अवश्य देखें । यही सकारात्मक दृष्टिकोण हमें क्रोधमुक्त बना सकता है और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हम लोगों की विशेषताओं को प्राथमिकता देते हुए उनके व्यावहारिक दोषों पर कुपित व्यवहार करने से बचकर क्रोध पर नियंत्रण कर पाएंगे ।

क्रोधमुक्त होने के लिए तनावमुक्त रहें –

वर्तमान में सभी का जीवन अनेक परिस्थितियों के अनुरूप उतार चढ़ाव से भरा है, जो हमारे मन को अशांत और तनावग्रस्त कर रहा है । तनाव का मुख्य कारण प्रत्येक घटना के प्रति हमारे मन में भरी क्यों, क्या, कब और कैसे वाली प्रश्नावलियां हैं । मन में जितने अधिक प्रश्न होंगे, उतना ही मन विषाक्त विचारों और शब्दों के द्वारा प्रतिक्रिया करेगा ।

जीवन पर्यन्त समस्याएँ आती रहेगी और उनका समाधान भी होता रहेगा, किन्तु उनके समाधान की सही विधि नहीं अपनाने और धैर्य का अभाव ही को जन्म देता है । कई परिस्थितियों में क्रोध एक बोतल में बंद तनाव की समान है अचानक कभी भी फूट पड़ता है। ध्यान अर्थात् मेडिटेशन के अभ्यास से सकारात्मक चिन्तन का अनुभवी बनने से मन को शांत, क्रोधमुक्त और तनावमुक्त रखा जा सकता है ।

कुछ अन्य उपाय

इसके अतिरिक्त कुछ निम्नांकित उपाय भी हैं जो क्रोध पर नियंत्रण पाने में कारगर साबित हो सकते हैं –

टहलने की आदत डालें

रोज थोड़ा समय टहलकर क्रोध पर नियंत्रण लगा सकते है। चलते समय अपने कदमों को गिनना चाहिए ताकि हमारा ध्यान उस कारण पर ना जाए जिसने हमें क्रोध दिलाया है ।

गहरी सांस लें और मैडिटेशन करें

धीमी गति से गहरी साँस लेने से क्रोध पर नियंत्रण किया जा सकता है । इसके साथ साथ मैडिटेशन का अभ्यास करने से क्रोध पर नियंत्रण लगाया जा सकता है । ध्यान करने से मन शांत होता है और अलौकिक आनंद की अनुभूति होती है ।

मधुर संगीत सुनें

मधुर संगीत भीह क्रोध पर नियंत्रण पाने में सहयोगी है । इससे गुस्सा हमारे पर हावी नहीं होता । मधुर संगीत नकारात्मक विचारों को शांत कर देता है ।

चुप रहें

अधिक बोलना विवाद का कारण होता है, इसलिए चुप रहना सीखना चाहिए । सहज रूप से चुप रहकर भी क्रोध पर नियंत्रण पाया जा सकता है ।

अच्छी नींद ले

रात को अच्छी नींद लेकर भी क्रोध पर नियंत्रण पाना आसान हो सकता है । जब शारीरिक थकान नहीं होगी तो सब काम सहज कर सकेंगे, उमंग उत्साह रहने से गुस्सा करने के विचार नहीं आते ।

निष्कर्ष

क्रोध पर नियंत्रण पाने की इसके अतिरिक्त भी विधियां हो सकती हैं जो हर कोई अपने व्यक्तिगत स्तर पर विकसित कर सकता है किन्तु हर विधि में हमें सकारात्मक चिन्तन, ध्यान, मेडिटेशन को शामिल करना आवश्यक होगा । मूल रूप से उक्त पांच विधियों के द्वारा हम स्वयं में शांति, प्रेम, दया, करुणा, सुख, सम्मान आदि गुणों को विकसित करके क्रोध पर नियंत्रण कर सकते हैं ।

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