क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) हमारे जीवन में क्या है ? यह इसलिए जानना आवश्यक है क्योंकि यह ऐसा सद्गुण है जो हमारे पारिवारिक और सामाजिक सम्बन्धों को बिखरने से बचाकर स्नेह, सहयोग और मधुरता बनाए रखता है । क्षमाशीलता का सद्गुण जीवन के अनेक चरणों पर हमें क्रोध, नाराजगी, कड़वाहट, वैमनस्य, घृणा, ईष्या आदि अवगुणों के मानसिक बन्धन से मुक्त कर सुख, शान्ति, आनन्द, स्नेह जैसी मधुर अनुभूतियों की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से वृद्धि करता है। इसलिए सकारात्मक रूप से यह सद्गुण अपनाना आध्यात्मिक और व्यावहारिक समझदारी है ।
क्षमाशीलता की परिभाषा क्या है ?
किसी के द्वारा हमारे प्रति किए गए गलत, अप्रिय और मन को आहत करने वाले व्यवहार से उत्पन्न होने वाली नकारात्मक भावनाओं को मिटाने का सजग निर्णय क्षमाशीलता कहलाता है । दूसरों द्वारा की गई गलतियों को भूलने के बजाए उनसे जुड़ी क्रोध, घृणा और नफरत से ओतप्रोत नकारात्मक भावनाओं से पूर्णतः मुक्त रहने की प्रतीज्ञा को क्षमाशीलता कहा जाता है । क्षमाशीलता एक ऐसा उपकरण है जो गलती करने वाले और गलती का नुकसान उठाने वाले, दोनों का आपसी सम्बन्ध टूटने से बचाता है ।
क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) क्या है ?
याद रखें कि कोई भी व्यक्ति अपने आप में व्यावहारिक रूप से परिपूर्ण नहीं है । व्यावहारिक त्रुटियां पारिवारिक व सामाजिक जीवन को प्रभावित करती हैं । क्षमाशीलता का गुण हमारे व्यक्तिगत, पारिवारिक व सामाजिक जीवन को सुचारू रूप से चलाने का महत्वपूर्ण आधार है । क्षमाशीलता का सद्गुण हमें भावनात्मक रूप से ठीक करने, हमारे रिश्तों को बेहतर बनाने, तनाव कम करने, व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में मददगार है। क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) हम निम्नलिखित बिन्दुओं से जान सकते हैं:-
व्यक्तित्व चित्रण में क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva)
सूक्ष्मता से देखा जाए तो प्रत्येक मानस पटल पर सुख, शान्ति, प्रेम, सम्मान, आनन्द, सहयोग आदि सद्गुण दृष्टिगोचर होते हैं । किन्तु क्षमाशीलता का सद्गुण ऐसी तुलिका है जो व्यवहार में आते ही इन सभी सद्गुण रूपी रंगों से हमारा व्यक्तित्व चित्रित करती है। इन सद्गुणों से चित्रित व्यक्तित्व सम्पूर्ण जीवन को एक नया व आकर्षक रूप देता है ।
क्षमाशीलता के सद्गुण की उपयोगिता
चित्रकला में किसी भी चित्र को अन्तिम रूप नहीं दिया जा सकता । उसमें संशोधन की सम्भावना सदा विद्यमान रहती है । उसी प्रकार प्रत्येक पारिवारिक व सामाजिक सम्बन्ध में भी सुधार की सम्भावना विद्यमान रहती है । इसी प्रकार हमारे व्यक्तित्व में भी संशोधन की सम्भावनाएं कायम रहती है अर्थात् हमारे भीतर विद्यमान गुणों को निखारा जा सकता है । क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) समझते हुए जीवन के अनेक पड़ावों पर इसकी उपयोगिता है जिसे जीवन पर्यन्त निखारा जा सकता है ।
महानता का आधार क्षमाशीलता
एक चित्रकार अपना चित्र पूरा करने तक उसे बनाने प्रक्रिया के प्रत्येक चरण का पुनरावलोकन करता रहता है और उसे संशोधित करने की सम्भावनाओं का ध्यान रखते हुए उसे निखारने का प्रयास करता है । ठीक इसी प्रकार हर सम्बन्ध को आध्यात्मिक और क्षमाशीलता की दृष्टि से मधुर, सुन्दर तथा प्रगाढ़ बनाने की सम्भावनाएं सदा मौजूद रहती हैं । क्षमाशीलता ऐसा सद्गुण है जिसका कठिन से कठिन परिस्थितियों में रचनात्मक रूप से उपयोग किया जाकर स्वयं को सर्व का स्नेही, उदार, दयालू और महान बनाया जा सकता है ।
श्रेष्ठ इंसान का निर्माण
यह गहराई से समझने की आवश्यकता है कि आखिर कैसे हम अपने भीतर क्षमाशीलता जैसे सुन्दर और ईश्वर प्रिय सदगुण का विकास कर परमात्मा की दृष्टि में स्वयं को श्रेष्ठ इंसान बनाएं । किसी भी सद्गुण अथवा नैतिक मूल्य को आत्मसात करने के लिए दृढ़ निश्चय के साथ कुछ व्यावहारिक कदम उठाने होते हैं ।
हर व्यक्ति में किसी न किसी सद्गुण को आत्मसात करने की नैसर्गिक क्षमता विद्यमान होती है लेकिन सभी गुणों से अपना चरित्र चित्रण करना एक चुनौतीपूर्ण पुरूषार्थ है । क्षमाशीलता का सद्गुण धारण करना भी अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है ।
क्षमाशीलता के सद्गुण से व्यावहारिक परिवर्तन
क्षमाशीलता का सद्गुण सभी के प्रति संवेदनायुक्त शुद्ध भावना, शुभकामना और कल्याण की भावना का सम्मिश्रण है । इस रूप में व्यावहारिक रूप से क्षमाशीलता बहुत ही अल्प मात्रा में नजर आती है । अक्सर हमें किसी के आपत्तिजनक व्यवहार के लिए उसके प्रति क्षमाभाव रखने के बजाए उसे दण्ड स्वरूप व्यावहारिक प्रक्रिया द्वारा सबक सिखाना अधिक उचित महसूस होता है, क्योंकि हम भविष्य में वैसे व्यवहार की पुनरावृत्ति नहीं चाहते ।
दण्ड देने की विधि अल्पकाल के लिए अवश्य कारगर हो सकती है, किन्तु सामने वाले व्यक्ति को सकारात्मक रूप से अपना व्यावहारिक परिवर्तन करने के लिए प्रेरित कभी नहीं कर सकती । इसलिए क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) समझकर उसके माध्यम से औरों का व्यावहारिक परिवर्तन किया जा सकता है।
दुखद स्मृतियों के जंजाल से मुक्ति
हमारे जीवन में सुख, शान्ति, प्रेम, आनन्द, प्रवित्रता आदि विभिन्न गुणों के साथ साथ क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) कोई कम नहीं है। आहत करने वाला व्यवहार अक्सर हमें उस दर्द की स्मृति से बाहर नहीं आने देता । ऐसी स्थिति में यदि बिना शर्त प्रेम और शान्ति से किसी को क्षमा करते हैं तो हम सभी नकारात्मक स्मृतियों के जंजाल से मुक्त होकर हल्केपन का अनुभव करेंगे ।
क्षमाशीलता के अभाव के कारण
क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) जानते हुए भी कुछ लोगों के लिए दूसरे को क्षमा कर पाना अत्यन्त कठिन हो जाता है । इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं:-
सम्बन्ध निभाने में निराशा का भाव
सम्बन्धों का जीवन में इतना महत्व होते हुए भी समाज में आज के भौतिकता से ग्रसित युग में सम्बन्धों संजोकर रख पाना चुनौतीपूर्ण बन गया है । हमारे लिए महत्व रखने वाले कुछ विशेष सम्बन्धियों की किसी विशेष आदत या व्यवहार से कभी कभी हम आहत होकर महसूस करते हैं कि अब इस रिश्ते को आगे निभा पाना हमारे लिए सम्भव नहीं है । जबकि वास्तविकता यह है कि उस सम्बन्ध का महत्व केवल उस एक अप्रिय व्यवहार तक सीमित नहीं है । हमें यह पूर्वानुमान नहीं होता कि जीवन यात्रा के किस पड़ाव पर वह सम्बन्ध हमारे लिए सहयोगी बनेगा ।
भावनात्मक निर्बलता का कारण
अपने जीवन की कुछ निजी समस्याएं जिन करीबी सम्बन्धियों से साझा करने पर वे हमारी ही गलतियां गिनाने लगते हैं । वास्तव में हमारे करीबी सम्बन्धियों को हमारे जीवन इतिहास के आधार पर हमारी सभी कमजोरियों का ज्ञान होने के आधार पर समस्या का दोषी हमें ही बताते हैं ।
गौर से देखें तो समाधान का मार्ग बताने का चरण उसके बाद प्रारम्भ होता है । हम उस समय यह भूल जाते हैं कि अभी तक उस सम्बन्धी ने हमारी समस्या का पूर्णतः विश्लेषण नहीं किया है । इसीलिए हमारी भावनात्मक निर्बलता हमें क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) समझने ही नहीं देती ।
आलोचना न सुनने की मानसिक दुर्बलता
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो किसी के द्वारा हमारी गलती बताई जाने पर हम भविष्य में इस प्रकार का भावनात्मक आघात पुनः होने के डर से उस व्यक्ति के प्रति मन में नकारात्मक भाव जगाकर उससे घृणा करने लगते हैं । वास्तविकता यह है कि यह हमारी मानसिक दुर्बलता है कि हम अपनी आलोचना सुनने के योग्य नहीं है ।
नकारात्मक भावनाओं के बंदी
मात्र कुछ शब्दों के प्रभाव से आहत होकर हम किसी व्यक्ति के आवश्यकता से अधिक बुरा होने का अनुमान लगाकर उसे एक अपराधी के रूप में देखने लगते हैं और उसे किसी कारागृह में बंद किए जाने जैसे दुष्विचार भी करने लगते हैं । सूक्ष्म रूप से देखा जाए तो हम स्वयं को नकारात्मक भावनाओं के कारागृह में बंदी बना चुके होते हैं । ऐसी स्थिति में यदि वह व्यक्ति अपनी भूल स्वीकार भी कर ले तो हमारे लिए उसे क्षमा करना असम्भव हो जाता है ।
सबक सिखाने वाली दुषित मानसिकता
किसी को सबक सिखाने वाली मानसिकता सामने वाले की वास्तविक परिस्थिति को समझने की हमारी क्षमता का ह्रास करती है । हम यह भूल ही जाते हैं कि हर व्यक्ति अपनी बौद्धिक क्षमता और विवेक की गुणवत्ता के आधार पर व्यवहार करता है । इसलिए क्षमाशीलता का सद्गुण धारण करने के लिए लोगों के व्यवहार के पीछे छिपी भावनाएं समझने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है । तभी हम उनके द्वारा किए गए अप्रिय आचरण का मूल कारण जान पाएंगे ।
स्वयं की पहचान भूलने के नुकसान
मन की इस घायल अवस्था में हम यह आध्यात्मिक जागरूकता खो देते हैं कि हम कोई शरीर नहीं बल्कि एक शुद्ध आत्मा हैं, हमारा असली घर वह परमधाम अथवा शान्तिधाम है जहां से हम इस धरा पर शरीर रूपी वस्त्र धारण कर अपना पात्र निभाने आए हैं ।
हम जन्म दर जन्म अलग अलग शारीरिक वेषभूषा धारण कर अनेक आत्माओं से विभिन्न रिश्ते बनाते हुए वर्तमान जीवन तक पहुंचे हैं । जीवन यात्रा के पूर्व जन्मों में हमने भी समय समय पर अन्य आत्माओं को भावनात्मक रूप से घायल कर नकारात्मक कर्म खाते बनाए हैं।
सुखद जीवन यात्रा
केवल क्षमाशीलता के सद्गुण का अभाव यदि हमारे रिश्तों को कम करता है, उनमें दरार उत्पन्न करता है या रिश्ते समाप्त करता है तो कालान्तर में जीवन यात्रा लम्बी, उबाऊ और कठिन अनुभव होने लगती है । इसलिए हमारी गलतियों के लिए हमें क्षमाप्रार्थी बनना और दूसरे की गलती के लिए हमें क्षमाशील बनना जीवन यात्रा को सुखद बनाने के लिए आवश्यक होता है । हमें स्वयं के प्रति दयालु और रहमदिल बनकर क्षमा प्रार्थना करने व क्षमा करने में क्षणिक भी विलम्ब नहीं करना चाहिए ।
क्षमाशीलता का सद्गुण जागृत करने की विधि
क्षमाशीलता का सद्गुण इतना महत्वपूर्ण होते हुए भी हम इसे धारण करने में असफल होते हैं । क्योंकि हमारा अहंकारी व्यक्तित्व इसे अपनाने की सहमति नहीं देता । फिर भी कुछ इसे धारण करने के लिए निम्नलिखित विधियां प्रयोग में लाई जा सकती हैं:-
आत्मिक स्मृति का अभ्यास
स्वयं को आत्म स्वरूप में स्थित रखने का अभ्यास करते रहने से यह स्मृति सहज ही बनी रहती है कि जिस किसी ने हमें भावनात्मक रूप से चोट पहुंचाई है, वह मेरे द्वारा अतीत में बनाए गए पुराने कर्म खातों का निस्तारण करने के आध्यात्मिक उद्देश्य से घटित हुई स्वाभाविक घटना है ।
अपमानित करने, ठेस पहुंचाने, दोषी ठहराने वाली अनेक घटनाओं के प्रति आध्यात्मिक दृष्टिकोण हमें उन्हें सहन करने की शक्ति प्रदान करने के साथ साथ हमारे भीतर क्षमाशीलता का सद्गुण भी सहज रूप से जागृत करता है ।
सामाजिक सम्बन्धों का महत्व समझना
समाज में सम्बन्धों का अत्यन्त ही महत्वपूर्ण स्थान है । सदियों से मनुष्य अपने जीवन की सुरक्षा के लिए, एक दूसरे से सहयोग प्राप्त करने के लिए, स्नेहिक आदान प्रदान के लिए व खुशी अनुभव करने के लिए सम्बन्ध गठित करता आया है । सम्बन्ध एक प्रकार की श्वास है जो मनुष्य को जीवित होने का एहसास कराती है । सुबह नींद खुलने से लेकर रात्रि को सोने तक की समस्त क्रियाओं में अनेक सम्बन्ध अपनी अपनी भूमिका महत्वपूर्ण रूप से निभाते हैं । सम्बन्धों को बनाए रखने के लिए क्षमाशीलता का सद्गुण अपनाना आवश्यक है ।
क्षमायाचना से समस्याओं का समाधान
हम अनेक प्रकार की समस्याओं से घिरे हुए हैं और ये सभी हमारे अपने कर्मों का परिणाम ही हैं । निश्चित रूप से हमारे किसी कर्म या व्यवहार से आहत होकर अन्य व्यक्तियों द्वारा हमारे जीवन में समस्याएं उत्पन्न करने वाले कर्म व व्यवहार किए गए हैं । आज वे प्रत्यक्ष रूप से हमारे समक्ष उपस्थित नहीं हैं, किन्तु यदि सच्चे मन से उन सभी लोगों से क्षमा याचना की जाए तो निश्चित रूप से हमारे जीवन में समस्याओं का असर कम होने लगेगा ।
दूसरों की गलतियां नजर अंदाज करें
किसी सुन्दर दृश्य की तस्वीर बनाते समय यदि एक अच्छा चित्रकार भी तनाव और क्रोध में हो तो उसका बनाया हुआ चित्र गुणवक्ता की श्रेणी में निम्न स्तर का ही होगा । ठीक उसी प्रकार जीवन का हर दृश्य आकर्षक, सुन्दर व खुशनुमा अनुभव करने के लिए हमारी भावनाएं सकारात्मक रूप से सुन्दर होनी चाहिए ।
हमें अपने मन में सकारात्मक रूप से यह भाव रखना चाहिए कि अनेक बार हमें भी दूसरों ने क्षमा किया है । हमारा जीवन आदान प्रदान की स्वाभाविक प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ता है । कभी हम किसी की गलतियों को नजर अंदाज करते हैं तो कभी हमारी गलती को दूसरे लोग नजर अंदाज करते हैं ।
नकारात्मक भावनाओं से मुक्त रहें
किसी व्यक्ति के द्वारा उसके मन, वाणी और कर्म के माध्यम से की गई छोटी बड़ी गलतियों से उत्पन्न होने वाली नकारात्मक भावनाओं से जब हम स्वयं को मुक्त रखने में समर्थ हो जाते हैं तो हम उस व्यक्ति से स्थापित सम्बन्ध को और बेहतर बनाने में सफल हो सकते हैं । यह तभी सम्भव है जब हम शाब्दिक स्तर और मानसिक स्तर पर क्षमाशीलता का सद्गुण स्थाई रूप स अपना लेते हैं।
क्षमा करने में बहादुर बनें
कुछ लोगों के लिए किसी को क्षमा करना पहाड़ पर चढ़ने या गहरी नदी पार करने से कम नहीं लगता । यदि हिम्मत रखकर किसी को क्षमा कर दिया जाए तो इसके बाद अनुभव होने वाला मन का हल्कापन आप सभी के साथ साझा करने में कभी विलम्ब नहीं करेंगे । क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) समझकर यह सद्गुण धारण करने के लिए मानसिक रूप से बहादुर बनना होता है ।
रिश्तों की सुन्दरता बिगड़ने से बचाएं
एक चित्रकार जब नया चित्र बनाना प्रारम्भ करता है तो उसे बीच में अधूरा इसलिए नहीं छोड़ता क्योंकि रंग सूखने के बाद चित्र से हटाना व उनमें अन्य रंगों को मिश्रण करना अत्यन्त कठिन हो जाता है । इसी प्रकार यदि जीवन में व्यावहारिक आदान प्रदान के दौरान किसी सम्बन्धी या मित्र को क्षमा करने की परिस्थिति उत्पन्न हुई है तो इसमें बिल्कुल देर नहीं करनी चाहिए । अन्यथा दोनों की पक्षों की आहत हुई भावनाएं उस रिश्ते की सुन्दरता को खण्डित कर देगी ।
अन्तिम शब्द
हमें यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि क्षमाशीलता का सद्गुण हमारे सभी रिश्तों के लिए एक प्रकार की संजीवनी बूटी है जो औरों के हृदयतल में हमारे प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण करती है । इस तरह, हम अपनी भावनाओं को दूसरी आत्मा के साथ साझा करने और हल्के रहने में सक्षम होते हैं। क्षमाशीलता केवल हमें आहत करने वाले व्यवहार के प्रभाव से मुक्त नहीं करती, बल्कि आपसी रिश्तों में स्नेह और मिठास बढ़ाती है ।
क्षमा अतीत को मिटाती नहीं है, बल्कि उसे अधिक करुणा, दया और प्रेम की दृष्टि से देखती है। क्षमाशीलता का सद्गुण हमें अनेक बन्धनों से मुक्त करता है और भयमुक्त बनाता है । किसी को क्षमा करके हम अपना ही भावनात्मक कल्याण करते हैं । क्षमाशीलता का सद्गुण आन्तरिक शक्ति का विकास करते हुए हमारी अन्तर्चेतना को स्थाई रूप से सुन्दर बनाता है ।
आईए हम क्षमाशीलता का महत्व (kshamashilta ka mahatva) आत्मसात करते हुए इसे जीवन का अंग बनाकर अपने व्यक्तित्व को एक नया रूप प्रदान करने का सफल पुरूषार्थ करें ।
ऊँ शान्ति
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