सम्पूर्ण सफलता की योजना का निर्माण कैसे करें ? जीवन में किसी भी कार्य के निष्पादन में कठोर परिश्रम करने के बावजूद कभी कभी हमारा असफलताओं से भी सामना होता है। अक्सर असफल होने पर मन में यही विचार आता है कि मैं इस काम को करने में सक्षम नहीं हूं, मेरे से गलतियां होती हैं, मैं कमजोर इंसान हूं आदि आदि….। इस प्रकार की निर्बल मानसिकता तभी विकसित होती है जब हम सफलता की योजना का निर्माण नहीं करते हैं ।
ऐसे विचार मन में लाकर हम अपने ही आत्म सम्मान, आत्मबल, हिम्मत, उत्साह, ऊर्जा और जोश को क्षतिग्रस्त करते हैं। यह मानसिक हानि हमें तनावग्रस्त बनाकर अवसाद की और ढकेल देती है। परिणामस्वरूप हम अपने ही शरीर, दिमाग और भावनाओं को संभालने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिए किसी भी प्रयोजन में असफल होने पर पर कभी भी स्वयं में अपराधबोध या ग्लानि का भाव पैदा ना करें। असफलता के प्रभाववश निराश होने के बदले सफलता पाने के लिए सफलता की योजना का निर्माण कर पुनः प्रयास करना चाहिए।
क्रोध पर नियन्त्रण के 5 उपाय जानिए
असफलता को स्वीकार करें ।
अक्सर लोगों के मन में यही प्रश्न उत्पन्न होता है कि एक बार या एक से अधिक बार असफल होने पर फिर से सफलता पाने के लिए क्या करना चाहिए। सफलता पाने के लिए फिर से प्रयास शुरू करने से पहले अपनी असफलता को स्वीकार करना आवश्यक होता है। तभी फिर से प्रयास करने की तैयारी करना सम्भव है। देखा जाए तो सफलता पाना भी कठिन नहीं है और असफल होने के बाद सफलता की योजना का निर्माण फिर से प्रयास करके सफल होना भी कठिन नहीं है। सफल होने के लिए स्वयं के भीतर समाई हुई प्रबल और प्रगाढ़ क्षमताओं को पहचानने वाले निश्चित रूप से हर असफलता को सफलता में बदल सकते हैं।
दिव्यता भरी अनमोल आध्यात्मिक कविताएं पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें ।
मन में सफलता के प्रति संशय ना पालें ।
देखा जाए तो हमारे चारों और अपनी क्षमताओं से अनभिज्ञ लोगों की संख्या अधिक है और सम्भवतः हमारी गिनती भी उन्हीं लोगों में आती है। इसी कारण चारों और असफलता और निराशा का नकारात्मक वातावरण भी निर्मित हो जाता है जिसके प्रभाववश प्रचुर मनोबल से भरपूर व्यक्ति भी असफल होने का संशय मन में पाल ही बैठता है।
असफलता के भय से मुक्त रहें ।
सफलता के सम्बन्ध में अक्सर हम इस भ्रम में रहते हैं कि सफलता हमें खुशी प्रदान करेगी। यही भ्रम हमारे अन्दर असफलता के प्रति भय उत्पन्न करता है और असफलता हमें एक प्राणघातक शत्रु के रूप में दिखाई देने लगती है। असफलता के प्रति जब तक हम अपना दृष्टिकोण नहीं बदलेंगे, तब तक असफलता से भय बना रहेगा जो सफलता को हमारे पास फटकने भी नहीं देगा।
असफलता से शिक्षा प्राप्त कर आगे बढ़ें ।
असफलता सदैव एक शिक्षक के रूप में आकर हमें एक नया अनुभव और नई सीख देकर जाती है। असफलता एक प्रकार का ईनाम है जो सफलता से हमारा परिचय कराने के निमित्त बनता है। असफलता ही सफलता की आधारशिला है। जिस प्रकार एक भवन की आधारशिला या नींव जितनी शक्तिशाली होती है उतना ही वह भवन मजबूत होता है। उसी प्रकार असफलताओं से प्राप्त अनुभवों के आधार पर लिए गए पुनर्प्रयासों से जब कोई भी सफलता प्राप्त होती है तो वह चिरस्थाई रहती है।
सफलता आपका दरवाजा कैसे खोलेगी, यह जानने के लिए यहां क्लिक करें ।
अपनी भावनाएं शक्तिशाली बनाएं ।
हमारी भावनाओं और विचारों के आधार पर ही हमारी सफलता अथवा असफलता निर्धारित होती है। इसलिए अपनी सफलता व असफलता के लिए हम स्वयं ही उत्तरदाई हैं। सफलता के प्रति अपने विचारों और भावनाओं की गुणवक्ता को सकारात्मक रूप से विकसित करने के लिए रोज अपने आपसे बात करें। आत्म चिन्तन आपको यह अनुभव कराएगा कि सफलता आपका अधिकार है और इसे अर्जित करने के लिए सम्पूर्ण रूप से स्वतन्त्र हैं।
यह अनुभूति आपके अन्तर्मन में वह उमंग, उत्साह और प्रसन्नता प्रवाहित करेगी जो असीम ऊर्जा बनकर आपके लिए सफलता पाना सहज कर देगी। उमंग उत्साह और प्रसन्नता आपकी अपनी मानसिक व्यवस्थाएं है जो आपको लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए आवश्यक है। इसलिए असफलता के भय से मुक्त होने के लिए उमंग, उत्साह और प्रसन्नता को अपने अन्दर फलने फूलने दिया जाना चाहिए।
असफलता का दोष दूसरों पर ना डालें ।
कभी कभी आसपास की परिस्थितियां और लोग हमारे नियन्त्रण में नहीं होते हैं। तब उनके प्रति हमारी प्रतिक्रिया अवश्य हमारे नियन्त्रण में होनी चाहिए। यदि हमारी प्रतिक्रिया परिस्थितियों और लोगों के प्रति दोषारोपण करने वाली होंगी तो उसका दुष्प्रभाव हमारे भावी प्रयासों पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।
असफलता के आगे हार नहीं मानें ।
जब आप हार मान लेते हैं, तभी आप असफल कहलाते हैं। यदि आप सफलता की योजना का निर्माण कर पुनः प्रयास करने के लिए स्वयं को तैयार रखते हैं तो सफलता भी आपके प्रयासों के पथ पर किसी ना किसी मोड़ पर आपकी प्रतीक्षा करती हुई मिल ही जाएगी। लेकिन यह सावधानी अवश्य रखें कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए आपकी मेहनत और परिश्रम का आपके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर कोई विपरीत असर ना पड़े।
अपनी गलतियां सुधारते रहें ।
इसलिए सफलता प्राप्त करने के लिए हम अपनी गलतियों को पहचानकर उन्हें सुधारें, सोच समझकर अपना लक्ष्य निर्धारित करें, सफलता की योजना बनाएं और अपने भीतर हिम्मत, उत्साह, जोश और ऊर्जा जागृत करके स्वयं को मजबूत बनाकर उस पर अमल करते हुए और सफलता की ओर अपने कदम बढ़ाकर अपना लक्ष्य प्राप्त करें और सफलता का भरपूर आनन्द लें।
*ॐ शांति*