स्वस्थ हृदय के आध्यात्मिक उपाय

लोग अक्सर पूछते हैं कि स्वस्थ हृदय के आध्यात्मिक उपाय अपनाने क्यों आवश्यक है। हमारा शरीर एक गाड़ी की तरह ही है जिसे हमारा हृदय चलाता है। हृदय द्वारा सारे शरीर को रक्त के माध्यम से ऊर्जा प्रदान की जाती है। हमारा हृदय विचारों से प्रभावित होता है। यदि हमने स्वस्थ हृदय के आध्यात्मिक उपाय नहीं किए तो दिन प्रतिदिन अस्वस्थ होते जाएंगे, जिससे सम्पूर्ण जीवन पर ही संकट उत्पन्न हो जाएगा । इसलिए स्वस्थ हृदय के आध्यात्मिक उपाय अपनाने आवश्यक है।

कार मैकेनिक की तरह एक चिकित्सक भी हमारे स्वस्थ हृदय के उपाय बताता है जो कुछ दवाओं और दिनचर्या को बदलने तक ही सीमित होते हैं । लेकिन स्वस्थ हृदय का आधार स्वच्छ और शुद्ध विचार है । जिसके लिए आध्यात्मिकता की आवश्यकता होती है । यदि हम आध्यात्मिकता को जीवन का अंग बनाते हैं तो हमारा शरीर, मन और हृदय सभी स्वस्थ रहेंगे । प्रस्तुत आलेख में स्वस्थ हृदय के आध्यात्मिक उपाय निम्न प्रकार से है –

1. तनावमुक्त और हल्केपन का अनुभव करें

हृदय रोग बढ़ाने में तनाव सबसे प्रभावशाली भूमिका निभाता है। दूषित विचारों के कारण तनाव उत्पन्न होता है जिन पर नियन्त्रण करना आवश्यक है। ध्यान/मेडिटेशन द्वारा हम अपने विचारों को नियंत्रित करके उन्हें नकारात्मक से सकारात्मक और शक्तिशाली बना सकते हैं। सकारात्मक विचारों से हमारा मन हल्का और तनावमुक्त रहता है। फलस्वरूप हृदय गति सामान्य होने लगती है। हृदय सुचारू रूप से कार्य करने लगता है। इसलिए स्वस्थ हृदय के यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हम सदा तनावमुक्त रहें ।

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2. भागमभाग की आदत छोड़कर आत्मजागरूकता अपनाएं

आज का इंसान अनावश्यक चीजों के आकर्षण में उलझकर उनके पीछे हर समय भागता रहता है। स्वयं उसे ही पता नहीं कि उसके हाथों से क्या छूटने वाला है। उन्हें हासिल करने की दौड़ में उसने चिंता और तनाव को जीवन का अंग बना लिया है जिसका हृदय पर जबरदस्त दबाव पड़ता है।

इसलिए गहनता से जांच करके अनावश्यक चीजों में उलझना छोड़कर आध्यात्मिकता को अपनाना चाहिए। अपने ही आत्म स्वरूप का अभ्यास हमें उन अनावश्यक भौतिकताओं की जकड़न से मुक्त करता है जिनके पीछे भाग भागकर हमने तनाव और चिंता को बढ़ाया है। आत्मिक अनुभूति अपने आप में अतिइन्द्रिय सुख का अनुभव कराती है, जिसकी तुलना में भौतिक सुख तुच्छ नजर आते हैं । स्वस्थ हृदय के आध्यात्मिक उपायों में यह उपाय अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।

3. शरीर को शुद्ध और सात्विक आहार खिलाएं

प्रकृति से हमें शरीर के रूप में सर्वाेत्तम उपहार मिला है। लेकिन हम अपने शरीर को कौनसा सबसे अच्छा उपहार दे सकते हैं जो उसके लिए सबसे उपयोगी हो सकता है? शराब, तम्बाकू, मांसाहार जैसे अनेक आहारों के दुष्परिणाम भुगतकर लोगों ने स्वयं को जटिल रोगों से ग्रसित कर लिया और काल का ग्रास बन गए।

इसलिए अपने शरीर को उपहार के रूप में केवल सात्विक भोजन ही खिलाएं जो हमारे स्वभाव से क्रोध, आवेग और अहंकार जैसे आवेगों को मिटाकर शरीर में हृदय लिए शुद्ध वातावरण बनाता है। सात्विक आहार से शरीर के हर अंग में शांतिपूर्ण स्पन्दन होने लगते हैं जो हृदयगति सन्तुलित रखने में सहयोगी होते हैं । शुद्ध और सात्विक आहार स्वस्थ हृदय के आध्यात्मिक उपायों का सहयोग करने का कार्य करता है ।

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4. सम्बन्धों में खुशी और सन्तोष का अनुभव करें

इस संसार में हर व्यक्ति की सोच, समझ और संस्कारों में भिन्नता है। लोगों का हमारे विचारों के अनुरूप नहीं होना हम स्वीकार नहीं कर पाते। अलग अलग स्वभाव के लोगों से तालमेल बिठाने की समझ का अभाव चिंताओं को जन्म देकर मानसिक तनाव बढ़ाता है। जिससे हमारे हृदय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए आध्यात्मिक दृष्टिकोण जागृत करके अपने परिवार के सदस्यों या कर्मक्षेत्र पर सम्पर्क में आने वाले लोगों की विशेषताओं और अच्छाइयों के बारे में चिन्तन करने का अभ्यास करें।

साथ ही साथ ध्यान/मेडिटेशन के निरन्तर अभ्यास से नकारात्मक भावनाओं का नाश करें। यह आपको आनन्द की अनुभूति कराएगा और आपका हृदय सदा स्वस्थ रहेगा। एक दूसरे के प्रति अपनेपन, स्नेह, सम्मान और सहयोग ही स्वस्थ हृदय का आध्यात्मिक उपाय है जो कभी विफल नहीं होता ।

5. जीवन के लिए आभार व्यक्त करें

सुबह नींद खुलते ही जीवनदायिनी प्रकृति और परमात्मा का सच्चे हृदय से धन्यवाद करें कि मुझे जीने के लिए एक दिन और मिला है। आज का दिन मैं और बेहतर ढंग से जीकर दिखाऊंगा। यह छोटा सा विचार ही आपको सकारात्मक रूप से ऊर्जावान बना देगा जिससे केवल आपका हृदय ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बन जाएगा। धन्यवाद प्रकट करने का संस्कार स्वस्थ हृदय के लिए ऐसा आध्यात्मिक उपाय है जो सूक्ष्मता से अपना कार्य करता है ।

6. हर कार्य को अपनी पसंद बनाएं

दिन भर के अनेक कार्यों में से कुछ कार्य जीवन के लिए आवश्यक होते हुए भी हमें नापसंद होते हैं। उन कार्यों का महत्व और अनिवार्यता समझकर उनमें रुचि जगाने के लिए उन्हें रूचिपूर्ण विधियों से सम्पन्न करने की आदत बनाएं । इसका सबसे बड़ा लाभ यही होगा कि आप अनेक कठिन और जटिल जिम्मेदारियों को निभाने में पारंगत हो जाएंगे। फलस्वरूप आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा जो एक स्वस्थ हृदय हेतु अति आवश्यक है। यदि हमें प्रत्येक कर्तव्य से प्यार हो जाता है तो स्वस्थ हृदय का यह सर्वोत्तम आध्यात्मिक उपाय माना जाएगा ।

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7. सहयोग करने की भावना जगाएं

हर व्यक्ति अपने आप में पूर्णतः आत्मनिर्भर नहीं है। इसलिए सबको एक दूसरे के सहयोग की आवश्यकता रहती ही है। यदि आवश्यकता पड़ने पर हम किसी का निस्वार्थ भाव से सहयोग करते हैं तो बदले में मिलने वाली दुआएं और धन्यवाद तथा महसूस होने वाली आत्म सन्तुष्टि हमारे हृदय को स्वस्थ बनाती है। सहयोग करने से अनुभव होने वाली खुशी स्वस्थ हृदय का सफलतम आध्यात्मिक उपाय है ।

स्वस्थ हृदय के कुछ प्रेक्टिकल उपाय

1. ध्यान ध्यान को अक्सर मेडिटेशन कहा जाता है । यह ऐसा आध्यात्मिक और सरल उपाय है जिससे हम मानसिक शान्ति और विचारों की स्थिरता हासिल करते हैं जो हमारे हृदय को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने में मददगार है।

2. योग यह एक शारीरिक व्यायाम की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है । योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग में रक्त संचार सुचारू रूप से होने लगता है । इसे आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति कहा जा सकता है जो हमारे शरीर के साथ साथ हमारे मस्तिष्क को लाभान्वित करती है और स्वस्थ हृदय के लिए योगासन सहज सुलभ और सबसे सस्ता उपाय है ।

3. सत्संग अक्सर लोग अपने पूर्वजो और ईष्ट देव और देवियों का गुणगान सत्संग के माध्यम से करते हैं । सामुहिक सत्संग अनेक प्रकार के तनावों से मुक्त करने के साथ साथ जीवन में नैतिकता और आध्यात्मिकता धारण करने की प्रेरणा प्रदान करता है । आध्यात्मिक उन्नति के द्वारा हृदय का स्वास्थ्य सुधारा जा सकता है ।

4. प्राणायाम प्राणायाम ऐसी सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा विज्ञान है जिससे हमारे शरीर का प्रत्येक अंग स्वच्छ, शुद्ध और शक्तिशाली बनता है । प्राणायाम से हृदय का स्वास्थ्य लम्बी अवधि तक कायम रहता है।

5. आध्यात्मिक विचार हमारे विचारों में जितना भौतिकता का अभाव होगा और आध्यात्मिकता की प्रचूरता होगी, उतना ही हमारे जीवन में सकारात्मकता और खुशियां आने लगेगी । आध्यात्मिकता से हमारा हृदय सदा स्वस्थ रहेगा।

अच्छे और स्वस्थ हृदय के लिए यदि इन उपायों को अपनाया जाए तो निश्चित रूप से हम अपने हृदय के साथ साथ सम्पूर्ण शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बना सकते हैं। इसलिए स्वस्थ हृदय के आध्यात्मिक उपाय सकारात्मक रूप से अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाएं और स्वस्थ सुखी जीवन बिताएं।

ॐ शांति

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